Kedarnath Dham ki katha 2023 | केदारनाथ मंदिर की कथा
Kedarnath Dham ki katha 2023. केदारनाथ मंदिर की कथा. आप में से बहुत से भक्त ऐसे होंगे जिन्हें केदारनाथ धाम की यात्रा करनी है. और वो ये पता करना चाहते है. कि केदारनाथ धाम की कथा क्या है. और केदारनाथ धाम में शिव जी के किस रूप की पूजा की जाती है.
Kedarnath Dham ki katha 2023 | केदारनाथ मंदिर की कथा. आप में से बहुत से भक्त ऐसे होंगे जिन्हें केदारनाथ धाम की यात्रा करनी है. और वो ये पता करना चाहते है. कि केदारनाथ धाम की कथा क्या है. और केदारनाथ धाम में शिव जी के किस रूप की पूजा की जाती है. Yatra Gyan के इस आर्टिकल में आप सभी को केदारनाथ मंदिर की कथा की जानकारी प्राप्त होने वाली है.
Kedarnath Dham ki katha 2023 : केदारनाथ मंदिर की कथा
Kedarnath Dham की यात्रा उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा में से एक है. केदारनाथ यात्रा हर साल 6 महीने के लिए सभी भक्तो के लिए खुलती है. केदारनाथ धाम के मंदिर खुलने की तारीख हर साल फरवरी के महीने में आने वाली शिवरात्रि पर आती है. और केदारनाथ धाम के कपाट हर साल भाई दूज को बंद किये जाते है. केदारनाथ धाम के कपाट जितने महीने खुले रहते है, उतने महीने वहा लाखो भक्तो की भीड़ लगी रहती है.
अगर आप भी केदारनाथ धाम की यात्रा करना चाहते है. तो आप सभी लोग बहुत ही आराम से केदारनाथ धाम की यात्रा कर सकते हो. केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए आपको सबसे पहले हरिद्वार आना होगा. और हरिद्वार के बाद से ही आपकी यात्रा की सुरुआत होगी. हरिद्वार से केदारनाथ की यात्रा किस तरह की जाती है. उस से जुडी पूरी जानकारी आपको निचे दिए गये लिंक पर मिल जाएगी.
Haridwar se Kedarnath Dham ki Yatra Kaise Kare?
केदारनाथ धाम की यात्रा करने के बाद आप सभी को मन की बहुत शांति मिलने वाली है. क्युकी केदारनाथ धाम में सच में शिव जी का वास है. केदारनाथ धाम से जुडी पूरी कथा आपको निचे मिलेगी.
केदारनाथ मंदिर की कथा सम्पूर्ण जानकारी
केदारनाथ धाम पंच केदार में सबसे पहले केदार है. तो केदारनाथ मंदिर की कथा भी पंच केदार से जुडी है. पंच केदार की कथा इस तरह शुरू हती है. कथा के अनुसार माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजय होने पर पांडव हत्या के पाप से मुक्ति प्राप्त करना चाहते है. और इसके लिए उन्हें भ्गाग्वान शंकर का आशीर्वाद चाहिए था. लेकिन भगवान शंकर पांड्वो से नाराज थे. भगवान शंकर के दर्शन के लिए पांडव कशी गए. परन्तु भगवान शंकर उन्हें वहा नहीं मिले.
वे लोग भगवान शिव को खोजते हुवे हिमालय तक आ गए. भगवान शंकर पांड्वो को दर्शन नहीं देना चाहते थे. इसलिए भगवान शंकर वहा अंतध्यान होकर केदार में जा बसे. दूसरी तरफ पांडव भी लगन के पक्के थे. वो भगवान शिव का पीछा करते करते केदार पहुच गए. भगवान शंकर ने पांड्वो से बचने के लिए बैल का रूप धारण कर लिया और वो एनी पशुओं में जा मिले. पांड्वो को संदेह हो गया. फिर भीम ने अपना विशाल रूप धारण कर दो पहाड़ो पर पैर फेला लिए.
अब सभी गाय और बैल उनके पैर के निचे से तो निकल गए लेकिन, भगवान शंकर रूपी बैल भीम के पेरो के निचे से जाने को तेयार नहीं हुवे. भीम बलपूर्वक इस बैल पर झपटे, लेकिन बैल भूमि में अंतध्यान होने लगा. तब भीम ने बैल की त्रिकोणात्मक पीठ का भाग पकड़ लिया. भगवान शंकर पंडो की भक्ति और संकल्प देखकर खुश हो गए. भगवान शंकर ने तत्काल पांड्वो को दर्शन देकर उन्हें पाप से मुक्त किया. उसी दिन से भगवान शंकर बैल की पीठ की आक्रति पिंड के रूप में श्री केदारनाथ धाम में पूजे जाते है.
ऐसा माना जाता है जब भगवान् शंकर बैल के रूप में अंतध्यान हुवे थे तो उनके धड का ऊपर का भाग काठमांडू में प्रकट हुवा. उस जगह पर अब पशुपति नाथ का प्रसिद्ध मंदिर स्तिथ है. भगवान शिव जी की भुजाये तुंगनाथ में, भगवान् शिव का मुख रुद्रनाथ में, भगवान शिव जी की नाभि मध्म्हेश्वर में और जटा कल्प्वेश्वर में प्रकट हुई. इसलिए इन चारो स्थानों सहित श्री केदारनाथ धाम को पंचकेदार कहा जाता है. इन सभी जगह शिव की के मंदिर बने है.
तो ये केदारनाथ धाम की वो कथा है जिसकी वजह से वहा भगवान् शिव की पूजा पीठ की आक्रति पिंड के रूप में श्री केदारनाथ धाम में की जाती है. केदारनाथ धाम से जुडी किसी भी तरह की जानकारी के लिए आप 7060830844 पर कॉल करके हेल्प ले सकते हो.
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