Mata Vaishno Devi old Gufa Opening Date | माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख
Mata Vaishno Devi old Gufa Opening Date. माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख। माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा कब खुलेगी ? माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख कौन सी है? क्या आप भी इन सवाल का जवाब पता करना चाहते है।

Mata Vaishno Devi old Gufa Opening Date. माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख। माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा कब खुलेगी ? माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख कौन सी है? क्या आप भी इन सवाल का जवाब पता करना चाहते है। तो मेरे इस आर्टिकल में आप सभी को माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा से जुडी सभी जानकारी मिलने वाली है।
माता वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा खुलने की तारीख
Mata Vaishno Devi Yatra के बारे में तो आप सभी लोग जानते ही है। Mata Vaishno Devi की यात्रा एक ऐसी यात्रा है जो भक्तो इ लिए 12 महीने खुली रहती है। और हर दिन यहाँ हजारो लोगो की भीड़ होती है। यह यात्रा दिन रात चलती है तो जितने भी भक्त यहाँ आते है हर कोई माता रानी के दर्शन कर पाता है। माता वैष्णो देवी में एक पुरानी गुफा है जो आज से 25 से 30 साल पहले हर किसी के लिए खुलती रहती थी।
लेकिन अब ऐसा नहीं है अब पुरानी गुफा कुछ टाइम के लिए ही खुलती है। जो भी भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाता है। उन सभी भक्तो को नयी गुफा से माता रानी के दर्शन करवाए जाते है। लेकिन जो पुरानी गुफा है उसकी अपनी ही मान्यता है। पुरानी गुफा भक्तो के लिए कब खुलती है। इसकी जानकारी हम बाद में प्राप्त करेंगे। लेकिन पहले Mata Vaishno Devi की ओल्ड गुफा के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते है।
माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा की सम्पूर्ण जानकारी
माता वैष्णो देवी की पुरानी पवित्र गुफा लगभग 98 फुट लंबी है। गुफा के अंदर आपको माता रानी की पिंडियों के मुख्य दर्शन के अलावा, पवित्र गुफा के बाहर और अंदर तथा पवित्र पिंडियों के आसपास कई अन्य भगवान के दर्शन भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि पवित्र गुफा में 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन होते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि किसी निश्चित समय पर, 33 करोड़ देवी-देवताओं में से प्रत्येक ने पवित्र गुफा में देवी माँ की पूजा की है और अंदर अपने प्रतीकात्मक निशान छोड़े हैं। यह भी माना जाता है कि सुबह और शाम को पूजन और आरती के समय ये सभी देवी-देवता पवित्र गुफा में माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।
माता वैष्णो देवी की पुरानी पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार पर बायीं ओर वक्र तुंड गणेश का प्रतीक है। भगवान गणेश के प्रतीक के बगल में सूर्य और चंद्र देव के प्रतीक हैं। एक बार पवित्र गुफा के अंदर, भैरोनाथ के धड़ को पार किया जाता है, जो लगभग 14 फुट लंबा है। देवी माँ की शक्तिशाली प्रहार के प्रभाव से, भैरोनाथ का सिर पवित्र गुफा से कुछ किलोमीटर दूर एक पास के पहाड़ पर गिर गया, जबकि उनका शरीर पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार पर निर्जीव पड़ा रहा। जिस पर चलकर भक्त इस गुफा में जाते है।
भैरो के धड़ के बाद भगवान हनुमान का प्रतीक है जिसे लौंकर बीर के नाम से जाना जाता है। इसके बाद चरण गंगा मिलती है, जो माता के चरणों से बहने वाली पौराणिक नदी है। जिन लोगों को पुरानी गुफा से होकर जाना होता है उन्हें इस स्थान से आगे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। लॉकर बीर से लगभग 23 फुट आगे बायीं ऊपर की ओर गुफा की छत उभरी हुई है और इस गुफा का पूरा भार शेषनाग के असंख्य सिरों पर टिका हुआ प्रतीत होता है। शेषनाग के ठीक नीचे माता का हवन कुंड है और उसके बगल में शंख, चक्र, गदा और पदम के प्रतीक हैं।
ऊपर, गुफा की छत को लगभग छूते हुए पांच पांडवों, सप्त ऋषियों, दिव्य गाय कामधेनु का थन, ब्रह्मा-विष्णु-महेश और शिव-पार्वती के प्रतीक हैं। 3 फुट आगे, एक ऊंचाई पर खंभा देखा जा सकता है जिसे पौराणिक उपासक प्रह्लाद ने पकड़ा था। इसके तिरछे जल स्तर पर यंत्र है जिस पर असंख्य रहस्यमय संकेत और प्रतीक अंकित हैं। इस बिंदु से 22 फुट आगे शेर का पंजा स्थित है, जो माता वैष्णो देवी की सवारी शेर का प्रतीक है। प्रवेश स्थल से शेर के पंजे की दूरी 59 फुट है। इससे 13 फुट आगे, उपासक के सिर के ठीक ऊपर, शेषनाग के मुख्य फन का प्रतीक स्थित है जो इस बिंदु पर गुफा की छत का भार वहन करता हुआ प्रतीत होता है। 6 फुट आगे बायर्यों और शंकर और गौरी के प्रतीक हैं।
इससे 13 फुट आगे माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, वैष्णो देवी और माता महासरस्वती की पवित्र पिंडियां हैं। पवित्र पिंडियों के दाईं ओर ऊपर की तरफ भगवान गणेश, सूर्य देव, चंद्र देव और देवी अन्नपूर्णा के प्रतीक देखे जा सकते हैं। पवित्र पिंडियों के थोड़ा पीछे, दाहिनी ओर बैठे हुए सिंहराज (शेर) का प्रतीक देखा जा सकता है। इससे थोड़ा आगे देवी मां का पूरा हाथ वरद हस्त मुद्रा में उठा हुआ है, जो दुनिया को वरदान दे रहीं हैं।
पवित्र गुफा में पवित्र पिंडियों के ठीक सामने भगवान पशुपति नाथ का प्राकृतिक प्रतीक है। इसके बाद भगवान हनुमान के प्रतीक लौंकर को देखा जा सकता है। पवित्र पिंडियों के आधार से पानी निकलता है और यह पवित्र गुफा से बाहर निकलता है। पवित्र जल के इस प्रवाह को चरण गंगा के नाम से जाना जाता है और इस धारा के जल को भक्त छोटे-छोटे कंटेनरों में एकत्र करते हैं और घर ले जाते हैं। उसी पानी को स्नान घाट तक भी पहुंचाया जाता है और भक्त पवित्र पिंडियों के दर्शन के लिए कतार में शामिल होने से पहले इस पानी में स्नान करते हैं। पवित्र गुफा में शिवलिंग, माता दुर्गा, भगवान शिव, सीता और लक्ष्मण के साथ श्री राम, भगवान हनुमान आदि के दर्शन शामिल हैं।
तो यह थी माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा की सम्पूर्ण जानकारी। लेकिन माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा के अन्दर दर्शन भक्त तब ही कर सकते है। जब इस गुफा को खोला जाता है। माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा को को साल में केवल एक महीने के लिए ही खोला जाता है। तब ही आप इस गुफा में जाकर माता रानी के दर्शन कर सकते है। अब बात आती है कि आखिर Mata Vaishno Devi old Gufa Opening Date कौन सी होती है।
Mata Vaishno Devi old Gufa Opening Date
तो मैं आप सभी को बताना चाहूँगा अगर आप माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा में जाकर दर्शन करना चाहते है। तो हर साल 14 जनवरी को महीने में पड़ने वाली मकर संक्रांति के दिन माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा की पूजा की जाती है और उसी दिन भक्तो के लिए इस पवित्र गुफा को खोला जाता है। 14 जनवरी से लेकर एक महीने तक भक्त इस गुफा से जाकर माता रानी के दर्शन कर सकते है। लेकिन माता वैष्णो देवी की पवित्र गुफा में भक्तो को तब ही जाने दिया जाता है। जब माता वैष्णो देवी आने वाले की संख्या 10,000 से कम होगी। अगर भक्तो की संख्या 10,000 से उपर है तो इस गुफा को बंद कर दिया जाता है।
तो अगर आप माता वैष्णो देवी की पुरानी पवित्र गुफा में जार माता रानी के दर्शन करना चाहते है तो 14जनवरी का ध्यान रख कर ही अपनी यात्रा का प्रोग्राम बनाइए।
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