Uttrakhand ke Panch Badri Yatra | पञ्च बद्री यात्रा की जानकारी
Uttrakhand ke Panch Badri Yatra के बारे में आप में से बहुत से लोग जरुर जाना चाहते होंगे। उत्तराखंड की चार धाम में से सबसे लास्ट का धाम बद्रीनाथ धाम है। और पंचकेदार की तरह बद्रीनाथ के पञ्च बद्री मंदिर भी है। जिनके बारे में आप सभी लोगो को जरुर पता होना चाहिए।
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Uttrakhand Ke Panch Badri Name List
Uttrakhand ke Panch Badri Yatra के बारे में आप में से बहुत से लोग जरुर जाना चाहते होंगे। उत्तराखंड की चार धाम में से सबसे लास्ट का धाम बद्रीनाथ धाम है। और पंचकेदार की तरह बद्रीनाथ के पञ्च बद्री मंदिर भी है। जिनके बारे में आप सभी लोगो को जरुर पता होना चाहिए। जिस तरह बद्रीनाथ धाम में आपको भगवान नारायण के दर्शन होते है। ठीक उसी तरह पञ्च बद्री में आपको भगवान विष्णु के दर्शन होते है।
अपनी इस पोस्ट के माध्यम से मैं आप सभी को विस्तार से पंच बदरी की जानकारी विस्तार से देने वाला हु। और साथ ही साथ आपको मेप का लिंक भी दूंगा। ताकि आप लोग बहुत ही आराम से पञ्च बदरी की यात्रा कर सको।
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Badrinath Dham
Badrinath Dham पंच बद्री में सबसे पहले हम बात करेंगे बद्रीनाथ धाम की। अगर आपको पंच बद्री की यात्रा करनी है। तो बद्रीनाथ धाम आपको सबसे पहले जाना होगा। क्युकी बद्रीनाथ धाम के कपाट साल में केवल 6 महीने के लिए खुलते है।
समुद्रतल से 10,277 फीट की ऊंचाई पर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ धाम को देश के चारधाम में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ माना गया है। काहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में बदरीनाथ मंदिर का निर्माण कराया था।
बद्रीनाथ धाम के मंदिर के गर्भगृह में शालिग्राम शिला से बनी भगवान नारायण की चतुर्भुज मूर्ति ध्यानावस्था में विराजमान है। पुरानी कहावतो के अनुसार बौद्धों का प्राबल्य होने पर उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति मानकर पूजा शुरू कर दी थी। आदि शंकराचार्य की प्रचार यात्रा के समय बौद्ध तिब्बत भागते समय मूर्ति को अलकनंदा नदी में फेंक गए। शंकराचार्य ने उसकी पुनर्स्थापना की। मंदिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखंड दीप प्रज्वलित रहता है। हर हाल लाखो तीर्थ यात्री इस धाम में आते है।
बद्रीनाथ धाम की सम्पूर्ण जानकारी आपको यहाँ क्लिक करके मिल जाएगी। केदारनाथ धाम का Map आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हो।
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Shri Yogdhyan Badri Mandir
Shri Yogdhyan Badri Mandir योग-ध्यान बदरी सालभर खुले रहते हैं कपाट। उत्तराखंड में मोजूद जोशीमठ से 24 किमी दूर समुद्रतल से 6,298 फीट की ऊंचाई पर पांडुकेश्वर में भगवान नारायण तपस्वी रूप में विराजमान हैं। उनकी अष्टधातु की यह मूर्ति बेहद चित्ताकर्षक और मनोहारी है। कथा है कि भगवान की यह मूर्ति इंद्रलोक से उस समय लाई गई थी, जब वनवास के दौरान अर्जुन इंद्रलोक से गंधर्व विद्या प्राप्त कर लौटे।
एक दौर में रावल भी शीतकाल में यहीं रहकर भगवान नारायण की पूजा करते थे, सो यहां नारायण का नाम योग-ध्यान बदरी हो गया। योग-ध्यान बदरी का पंचबदरी में तीसरा स्थान है। शीतकाल में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर भगवान के उत्सव विग्रह की पूजा यहीं होती है। इसे शीत बदरी भी कहा जाता है। यह एक बहुत ही सुन्दर जगह है। जहा आपको प्राकर्तिक नज़ारे देखने को मिलते है। ठण्ड के मोसम में यहाँ आपको ज्यादा ठण्ड देखने को मिलती है।
पञ्च बद्री के इस Shri Yogdhyan Badri Mandir जाने का मैप आपको यहाँ क्लिक करके दिख जायेगा।
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Bhavishya Badri Temple
Bhavishya Badri Temple भविष्य वदरी - 'स्कंद पुराण' के 'केदारखंड' में उल्लेख है कि कलयुग की पराकाष्ठा होने पर उत्तराखंड में मोजूद जोशीमठ में विष्णु प्रयाग के समीप जय-विजय नामक दो पहाड़ आपस में जुड़ जाएंगे। राह अवरुद्ध होने से तब भगवान नारायण के दर्शन असंभव हो जाएंगे। इसलिए श्रद्धालु तब समुद्रतल से 9,000 फीट की ऊंचाई पर भविष्य दर्शन करेंगे।
भविष्य बदरी धाम जोशीमठ-मलारी मार्ग पर तपोवन से आगे सुभांई गांव के ऊपर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए सलधार से छह किमी की खड़ी चढ़ाई देवदार के घने जंगल के बीच से तय करनी पड़ती है। जनश्रुति है कि यहां महर्षि अगस्त्य ने तपस्या की थी। बहुत से भक्त यात्रा के दोरान इस जगह जाते है। तो आप लोग भी Bhavishya Badri जाकर दर्शन कर सकते है।
Bhavishya Badri जाने का Map आपको यहाँ क्लिक करके मिल जायेगा।
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Vridh Badri Temple
Vridh Badri Temple वृद्ध वदरी सालभर खुले रहते हैं कपाट। उत्तराखंड में मोजूद जोशीमठ से सात किमी पहले समुद्रतल से 4,527 फीट की ऊंचाई पर उर्गम घाटी के अणिमठ (अरण्यमठ) गांव में श्रीविष्णु का प्राचीन मंदिर है, जहां वे वृद्ध बदरी के रूप में विराजमान हैं।
कहते हैं कि एक बार देवर्षि नारद मृत्युलोक में विचरण करते हुए बदरीनाथ की इसलिए थकान मिटाने के लिए वे अणिमठ नामक स्थान पर रुके। यहां उन्होंने कुछ समय भगवान विष्णु की आराधना व ध्यान कर उनसे दर्शन की अभिलाषा की। तब भगवान बदरी नारायण ने एक वृद्ध के रूप में उनको दर्शन दिए। तब से इस स्थान की ख्याति वृद्ध बदरी के रूप में है।
Vridh Badri Temple परर आपको मनमोहक प्राकर्तिक ज्नारे देखने का मोका भी मिलता है। तो आप जब भी अपनी पञ्च बदरी की यात्रा par जाये तो Vridh Badri Temple भी जरुर होकर आये।
Vridh Badri Temple का Map आपको यहाँ क्लिक करके मिल जायेगा।
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Shri Adi Badri Vishnu Temple
Shri Adi Badri Vishnu Temple आदि वदरी धाम पौष को छोड़ शेष 11 महीने खुले रहते हैं कपाट। उत्तराखंड के चमोली जिले में चांदपुरगढ़ी से तीन किमी आगे रानीखेत मार्ग पर दायीं ओर भगवान नारायण का आदि बदरी धाम स्थित है। यह मंदिरों का समूह है, जिनका निर्माण शंकराचार्य का कराया माना जाता है। मंदिर समूह की कर्णप्रयाग से दूरी 17 किमी है। इनमें प्रमुख मंदिर भगवान विष्णु का है, जिसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की चतुर्भुज स्वरूप एक मीटर ऊंची शालिग्राम की काली प्रतिमा विराजमान है। पास ही एक छोटा मंदिर गरुड़ महाराज का है।
इन प्रस्तर मंदिरों पर गहन एवं विस्तृत नक्काशी हुई है और हर मंदिर पर नक्काशी का भाव विशिष्ट एवं अन्य मंदिरों से अलग भी है। आदि बदरी के मुख्य पुजारी थापली गांव के थपलियाल हैं। इस मंदिर के कपाट एक माह बंद रहने के बाद मकर संक्रांति को खोले जाते हैं।
Shri Adi Badri Vishnu Temple का Map आप यहाँ क्लिक करके देख सकते हो।
उपर मैंने आपको सभी लोकेशन के अलग अलग Map के लिंक दिए है। लेकिन अगर आप पञ्च बद्री के Map के लिंक एक साथ चाहते है तो आप Uttrakhand ke Panch Badri Yatra यहाँ क्लिक करके Map के अनुसार कर सकते हो।
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