Visit these places in Kedarnath Yatra | केदारनाथ यात्रा के दौरान घूमने की जगह
Visit these places in Kedarnath Yatra. केदारनाथ यात्रा के दौरान घुमने की जगह. केदारनाथ जाते समय रस्ते में घुमने की जगह. अगर आप केदारनाथ धाम जा रहे है. और आपको ऐसी जगह पता करनी है. जो केदारनाथ धाम के रस्ते में या केदारनाथ धाम के आसपास हो.
Visit these places in Kedarnath Yatra. केदारनाथ यात्रा के दौरान घुमने की जगह. केदारनाथ जाते समय रस्ते में घुमने की जगह. अगर आप केदारनाथ धाम जा रहे है. और आपको ऐसी जगह पता करनी है. जो केदारनाथ धाम के रस्ते में या केदारनाथ धाम के आसपास हो. तो मेरा आज का यह आर्टिकल इसी टॉपिक से जुड़ा है. जिसमे आपको केदारनाथ जाते समय रस्ते में घुमने की जगह की जानकारी मिलने वाली है.
Visit these places in Kedarnath Yatra
उत्तराखंड की केदारनाथ धाम यात्रा एक ऐसी यात्रा है. जिसे हर शिव भक्त अपनी जिंदगी में एक बार जरुर करना चाहता है. केदारनाथ धाम की यात्रा करने के लिए लोग बहुत दूर दूर से आते है. और केदारनाथ धाम के दर्शन करके वापिस चले जाते है. उन लोगो को मालूम ही नहीं होता जिस केदारनाथ धाम की यात्रा पर वो जा रहे है. उस यात्रा के रास्ते में और भी बहुत सी ऐसी जगह है. जहा उन लोगो को घूमना चाहिए.निचे मैं आपको कुछ ऐसी जगह के बारे में बताने वाला हु. जहा आप सभी लोगो को जरुर घूमना चाहिए.
केदारनाथ यात्रा के दौरान घूमने की जगह
देवप्रयाग संगम
केदारनाथ यात्रा हरिद्वार से शुरू करने के दोरान सबसे पहले आपको देवप्रयाग नाम की जगह आना होगा. और देवप्रयाग में आपको दो पवित्र नदी भागीरथी और अलकनंदा का संगम देखने को मिलता है. इस संगम को हर कोई अपने कैमरे से फोटो खीच कर अपने साथ याद के तोर पर ले जाता है. भागीरथी और अलकनंदा नदी के बाद जिस नदी का निमार्ण होता है. उसे गंगा नदी के नाम से जाना जाता है. तो आप भी अपनी केदारनाथ यात्रा के दोरान इस संगम को जरुर देखिये.
मां धारी देवी मंदिर
देवप्रयाग में नदी का संगम देखने के बाद आपको मोका मिलता है. धारी देवी मंदिर के दर्शन करने का. धारी देवी का यह मंदिर श्री नगर शहर से कुछ किलोमीटर की दुरी पर झील के बीचो बिच स्तिथ है. मां धारी देवी मंदिर में काली माँ की मूर्ति स्थापित है. जो दिन में तिन बार अपना रूप बदलती है. यह मूर्ति सुबह में बालिका, दोपहर में युवती और शाम के समय वृधा के रूप में नजर आती है.
मां धारी देवी चारधाम और उसके भक्तो के रक्झा करने के रूप में जानी जाती है. जब केदारनाथ धाम में आपदा आई थी. तो इसी मां धारी देवी मंदिर में मोजूद माता की मूर्ति के स्थान को लेकर झेड़ा छाडी की गयी थी. उसी के बाद आपदा आई थी. केदारनाथ यता के दोरान आप रस्ते में आने वाले इस मां धारी देवी मंदिर भी जरुर जाए.
रुद्रप्रयाग संगम
केदारनाथ धाम जाते समय आपको 86 किमी पहले आपके सामने रुद्रप्रयाग नाम की जगह भी आएगी. यह प्रयाग पञ्च प्रयाग में से एक प्रयाग है. और इसी रुद्रप्रयाग में आपको रुद्रप्रयाग संगम देखने का मोका भी मिलेगा. यहाँ आपको अलकनंदा और मंदाकनी नदी का संगम देखने को मिलेगा. कहा जाता है कि इस स्थान पर नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी. और उन्ही के कहने पर भगवान् शिव ने रोद्र रूप धारण किया था.
अगस्त्यमुनि
केदारनाथ धाम जाते टाइम रुद्रप्रयाग से 18 किमी दूर मंदाकनी नदी के तट पर मोजूद अगस्त्यमुनि एक छोटा से क़स्बा है. इस स्थान पर ऋषि अगस्त्य ने वर्षो तक ध्यान किया था. इस जगह अगेत्श्वर महादेव के नाम से एक मंदिर ऋषि अगस्त्यमुनि को समर्पित है. और यह मंदिर हजारो साल पुराना है. तो आपको इस अगस्त्यमुनि जगह पर जाकर मंदिर को भी देखना चाहिए.
केदारनाथ यात्रा करने का सबसे अच्छा समय
गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर
रुद्रप्रयाग से 35 किमी की दुरी पर मोजूद गुप्तकाशी नाम का छोटा सा क़स्बा आता है. ये वो ही जगह है जहा से केदारनाथ धाम के लिए हेलीकाप्टर उड़ते है. यह केदारनाथ का प्रमुख पडाव है. जो लोग केदारनाथ धाम हेलीकाप्टर से जाते है वो इसी जगह रुकते है. इस जगह अर्द्धनारीश्वर नाम का एक मंदिर भी है. मंदिर के निकट एक कुंड भी है. जो आपको जरुर देखना चाहिए. इसी के साथ आपको इस जगह गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर जाकर भी दर्शन करने चाहिए. यह दोनों मंदिर बहुत फेमस मंदिर है.
त्रियुगीनारायण मंदिर
त्रियुगीनारायण मंदिर सभी शिव भक्तो का एक फेमस स्थान बन चूका है. सोनप्रयाग से 5 किमी की दुरी पर स्तिथ यह त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान शिव और पार्वती का विवाह स्थल है. और यह मंदिर भगवान् विष्णु को समर्पित है. मंदिर के ठीक सामने आपको एक अखंड ज्योत जलती हुई दिखती है. कहा जाता है कि ज्योत शिव पार्वती विवाह के समय से जलती आ रही है. भगवान शिव के इस विवाह स्थल पर भी आप लोगो को जरुर दर्शन करने जाना चाहिए.
सोनप्रयाग - ठंडी जगह
केदारनाथ धाम जाते टाइम सोनप्रयाग वो पहला पड़ाव है जहा यात्री रात्रि विश्राम करते है. यह जगह बहुत छोटी जगह है. और इस जगह का मोसम आपको ठंडा मिलेगा. इसी जगह से आपको गोरीकुंड जाने के लिए टेक्सी मिलती है.
गोरीकुंड - केदारनाथ पैदल यात्रा का पहला पढ़ाव
केदारनाथ धाम जाने के लिए पैदल यात्रा गोरीकुंड से ही शुरू होती है. यह भी सोनप्रयाग की तरह ही छोटी सी जगह है. और यहाँ का मोसम भी आपको हमेशा ठंडा ही मिलेगा. गोरीकुंड में आपको नहाने के लिए एक गर्म पानी का प्राकतिक कुंड मिलता है. सभी भक्त इस गर्म पानी के कुंड माँ नहाने के बाद ही अपनी यात्रा को शुरू करते है. गोरीकुंड में भी आपको गोरिमता का मंदिर भी मिलता है. जहा जाकर आप सभी को दर्शन जरू करने चाहिए. जब केदारनाथ के कपाट खोले जाते है और बंद किये जाते है. तो इसी गोरी माता के मंदिर में भगवान् शिव की पंचमुखी डोली को विश्राम के लिए रखा जाता है.
केदारनाथ पैदल यात्रा के लिए जरुरी सामान की लिस्ट
भैरव नाथ मंदिर
केदारनाथ धाम जाकर भोलेनाथ के दर्शन करने के बाद आप सभी को भैरव नाथ मंदिर के दर्शन भी करने चाहिए. भैरव नाथ मंदिर केदारनाथ मंदिर से आधा किमी की दुरी पर पहाड़ो पर मोजूद है. जहा आपको जाने में 20मिनट तक का समय लग सकता है. इस मंदिर में कोई छत नहीं है. यह मंदिर खुले आकाश के निचे स्तिथ है. कहा जाता है कि सर्दियों में केदारनाथ धाम के कपट बंद होने के बाद भैरव नाथ मंदिर की रखवाली करते है.
शंकराचार्य समाधि
केदारनाथ धाम मंदिर केपीछे मोजूद शंकराचार्य समाधि स्थल को भी आप सभी लोगो को जरुर देखना चाहिए. केदारनाथ आपदा आने के बाद इस शंकराचार्य समाधि को बहुत ही कलात्मक रूप से बनाया गया है. हिन्दू धर्म के इतिहास में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति में से एक आदि शंकराचार्य एक धर्म्शाश्त्री और महँ विचारक थे. आदि गुरु शंकराचार्य को केदारनाथ धाम की स्थापना करने वालो में माना जाता है.
मुझे उम्मीद है Visit these places in Kedarnath Yatra आर्टिकल आप सभी लोगो के लिए जरुर काम का साबित हुवा होगा. अगर आपको केदारनाथ धाम से जुडी किसी भी तरह की कोई जानकारी चाहिए तो आप मुझे कॉल भी कर सकते हो.
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