Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan | माता वैष्णो देवी की यात्रा ऐसे करे

Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan. जय माता दी। अगर आप माता वैष्णो देवी की यात्रा पर जाना चाहते है। तो मेरा यह आर्टिकल आप लोगो की पूरी मदद करेगा Mata Vaishno Devi Yatra करने में।

Aug 23, 2024 - 08:00
Aug 22, 2024 - 18:38
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Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan | माता वैष्णो देवी की यात्रा ऐसे करे
Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan

Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan. जय माता दी। अगर आप माता वैष्णो देवी की यात्रा पर जाना चाहते है। तो मेरा यह आर्टिकल आप लोगो की पूरी मदद करेगा Mata Vaishno Devi Yatra करने में। आज मैं आप सभी को माता वैष्णो देवी की यात्रा किस तरह की जाती है इसकी पूरी जानकारी विस्तार से देने वाला हु। ताकि आप लोग बहुत ही आराम से माता वैष्णो देवी की यात्रा कर सको।   

Mata Vaishno Devi Yatra Day by Day Plan

मां वैष्णो देवी की तीर्थ यात्रा में भवन तक पहुंचने से पहले आपको बाण गंगा, चरण पादुका और अर्ध कुमारी को पार करना होता है। भक्तों को तीर्थ यात्रा के साथ इस मार्ग से होकर त्रिकुटा पहाड़ियों पर आए दिव्या प्राणियों का सम्मान करने और उनका आशीर्वाद लेने का शुभ अवसर प्राप्त होता है। साथ ही वैष्णो देवी के कार्यों का पता लगाने का मौका मिलता है। पारंपरिक तीर्थ यात्रा मार्ग पर प्रमुख पड़ाव कटरा से आगे मौजूद है। पारंपरिक तीर्थ यात्रा का पहला पड़ाव दर्शनी दरवाजा है। दर्शनी दरवाजा माता वैष्णो देवी का प्रवेश द्वार है।  

दर्शनी द्वारा में प्रवेश करने के बाद आप सभी भक्तों को भक्ति संगीत की ध्वनि और माता के भजन से आपका स्वागत किया जाता है। गेट पर खूबसूरत फूलों की सजावट की गई है। और विशेष सबसे और त्योहार पर इसे और भी खूबसूरत बनाया जाता है। जिससे यहां की खूबसूरती और बढ़ जाती है।  

दर्शनी द्वार आर्थिक महत्व का स्थान में माना जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है जो लोग इस द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं। उन पर माता वैष्णो देवी की कृपा बरसती है।  हर साल लाखों वक्त प्रार्थना करने और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं। जिससे यह भारत में सबसे अधिक पूजनीय और देखे जाने वाले मंदिरों में से एक बन गया है। 

दर्शनी द्वारा से लगभग 1 किलोमीटर आगे चलने पर आपको बाण गंगा दिखाई देगी। बाण गंगा एक अति पूजनीय पर्वत जलधारा है। इस नदी का नाम दो शब्दों बाण और गंगा से मिलकर बना है। बाण का अर्थ है तीर और गंगा का अर्थ नदी है। ऐसा माना जाता है की माता वैष्णो देवी ने पवित्र गुफा की ओर जाते समय अपने तरकश के एक तीर से इस जलकुंड का निर्माण किया था इसलिए इसका नाम बाण गंगा पड़ा। यह भी कहा जाता है कि उन्होंने इसमें डुबकी लगाई थी और यही अपने बाल धोए थे।  इस प्रकार कुछ लोग इसे बाल गंगा भी कहना पसंद करते हैं।  

वैष्णो देवी जाने वाले भक्तों से अपेक्षा की जाती है कि वह वहां गंगा मंदिर में पूजा करें वह देवी से आशीर्वाद प्राप्त करें। बाणगंगा नदी एक शांति पूर्वक रहती है जो भक्तों को शांतिपूर्वक और शांत वातावरण का एहसास कराती है।  

बाणगंगा से 1 किलोमीटर चढ़ाई करने के बाद पहला प्रमुख स्थान मिलेगा चरण पादुका। यहां के बारे में कहते हैं कि जब भैरवनाथ वैष्णव माता का पीछा कर रहे थे तो यहां पे माता जी यह जांचने के लिए रुकी थी और पीछे मुड़ के देखा था कि भैरवनाथ अभी भी उनका पीछा कर रहे हैं या नहीं। उनके यहां रुकने के बाद माता के चरणों के निशान यहां पर पड़ गए थे। जिसकी वजह से इस जगह का नाम चरण पादुका पड़ा। यहां पर एक मंदिर भी बना है साथ ही साथ माता के पद चिन्हों को भी आप यहां देख सकते हैं।

माता वैष्णो देवी की यात्रा ऐसे करे

इसके बाद अब आप यहां से आगे बढ़ेंगे और चरण पादुका से 5 किमी की दूरी पर आपको समुद्र से 48000 फीट की ऊंचाई पर अर्धकुमारी गुफा मिलेगी। माना जाता है कि अर्थ कुमारी शब्द आदि कुमारी से आया है, जिसका अर्थ है आदि कुंवारी। पुरानी कथा के अनुसार जब माता छोटी लड़की के रूप में पंडित सिद्ध द्वारा आयोजित भंडारे से गायब हो गई थी। तब वह बाण गंगा र चरण पादुका में रुकी। वहां से माता अर्थ कुमारी पहुंची।

जहां पर एक छोटी गर्भ आकार की गुफा में उन्होंने 9 महीने तक ध्यान किया और तपस्या की। माना जाता है कि जिस स्थान पर उन्होंने ध्यान किया वह गुफा के अंदर दाहिनी और स्थित है। और इसका आकार गर्भ जैसा है। चुकी वैष्णवी ने गर्भ ग्रह की आकार की गुफा में 9 महीने की अवधि तक आध्यात्मिक अनुशासन का पालन किया था। इसलिए यह गुफा गर्भ जून के नाम से लोकप्रिय हो गई। जो गर्भ यानी शब्द से आया है आमतौर पर यह माना जाता है कि इस गुफा से गुजरने मात्र से ही यक्ति के पाप धुल जाते हैं। और उनकी आत्मा फिर से पवित्र हो जाती है।  

अर्ध कुमारी गुफा से 4 किमी आगे 5200 फुट की ऊंचाई पर सांझीछत नामक एक अगला तीर्थ स्थान है। यह तीर्थ स्थान माता वैष्णो देवी का अंतिम पड़ाव है। यहां भक्त तीन पिंडी तक पहुंच सकता है। जो लोग हेलीकाप्टर से आते है वो सभी इसी जगह उतारते है। इसके बाद उन्हें आगे पैदल जाना होता है। सांझीछत से 2 किमी आगे 5200 फुट की ऊंचाई पर स्थित पवित्र पावन भवन है। तो यात्रियों का अंतिम कर्तव्य स्थान है पवित्र गुफा के अंदर देवी पवित्र पिंडों के रूप में प्रकट है। और माता को उनके तीनों रूपों महाकाली महालक्ष्मी और माता सरस्वती के रूप में प्रकट करती है।  

वैष्णो देवी भवन में आपको सभी प्रकार की सुविधा और सहायता मिलती है। Mata Vaishno Devi तीर्थ यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में वैष्णो देवी के सभी महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों जैसे तीन पिंडियों, और अन्य महत्वपूर्ण देवी देवताओं के दर्शन के साथ-साथ, भवन के भक्तों के लिए आवास और खाने-पीने की सुविधा भी आपको इसी जगह मिल जाती है।  

भवन में मौजूद में मंदिर में जाने से पहले आपको सारा सामान भवन के आसपास मौजूद क्लॉक रूम में जमा करना होता है। क्युकी भवन के अंदर आपको केवल नगदी के आलावा कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं है। सामान्य प्रयोग की सभी वस्तु जैसे बेल्ट, चमड़े की बेल्ट वाली घड़ियां, कंगी, पेन, पेंसिल, पर्स, हैंडबैग आदि प्रतिबंध है। भक्तो की सुविधा को ध्यान में रखते हुए साइन बोर्ड के भवन परिसर में कई जगह क्लॉक बनाए हुए हैं। यहां प्रवेश गेट नंबर 3 पर्वती भवन और मनोकामना भवन के पास क्लॉक रूम का उपयोग सभी चमड़े और अन्य वस्तुओं को जमा करने के लिए किया जा सकता है।  जिन वस्तुओं को पवित्र प्रभाव के अंदर जाना मना है।  

भवन में मौजूद तीन पिंडियो के दर्शन करने के बाद भक्त अपने अंतिम पडाव भैरवनाथ मंदिर की तरफ बढ़ते हैं। भैरवनाथ मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भारत की जम्मू और कश्मीर में वैष्णो देवी तीर्थ यात्रा का एक महत्व पड़ाव माना जाता है। यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत के ऊपर स्थित है। भक्तों का मानना है कि भैरवनाथ मंदिर के दर्शन करने को प्रार्थना करने से उन्हें अपनी बाकी की यात्रा के लिए सुरक्षा अवसर प्राप्त होता है। यह मंदिर हरे भरे जंगलों और पहाड़ियों से गिरा हुआ है। जो मंदिर के लिए भाव और शांत वातावरण प्रदान करते हैं। 

भैरवनाथ मंदिर आप पैदल भी जा सकते हो। और आप चाहे तो रोपवे के माध्यम से भी भैरवनाथ मंदिर जा सकते हो।

वैष्णो देवी की यात्रा की पूरी जानकारी मैंने आपको विस्तार से दे दी है। अब बात करते कि आखिर आपको कितने दिन इस यात्रा में लगने वाले हैं। तो सबसे पहले तो आपको कटरा आना होगा। कटरा आप ट्रेन के माध्यम से आ सकते हैं। छोटे बड़े सब जगह से कटरा के लिए ट्रेन मोजूद है। तो आप अपनी सुविधा के अनुसार ट्रेन की माध्यम से कटरा एसकते हैं।  

कटरा आने वाली ट्रेन अक्सर आपको मॉर्निंग में सुबह 6:00 या 7:00 बजे तक कटरा पहुंचा देती है। कटरा पहुंचने के बाद आपको अपना RFID कार्ड बनाना होगा। RFID कार्ड बनाने के बाद फिर आप अपनी यात्रा को शुरू कर सकते हैं। इस कार्ड के बिना आपको यात्रा पर नहीं जाने दिया जाएगा। कार्ड बनाने के बाद आप यात्रा के स्टार पॉइंट पर पहुचे। और अपना कार्ड दिखा कर अपनी यात्रा शुरू करे। 

Mata Vaishno Devi के भवन के 12 किलोमीटर के रस्ते को पूरा करने में आपको 6 से 7 घंटे लग जाते है। यानी जिस दिन आप ट्रेन से उतरोगे। उसी दिन आप उपर भवन तक पहुच जाओगे। और माता रानी के दर्शन और भेरोनाथ के दर्शन करने के बाद आप अगले दिन शाम तक कटरा वापिस आ सकते हो। भवन से निचे आने में आपको 4 से 5 घंटे लग सकते है। आप चाहो तो उसी दिन शाम की ट्रेन से अपने शहर के लिए निकल सकते हो। लेकिन मैं आप सभी को निचे आने के बाद आराम करने की सलाह दूंगा। 

तीसरे दिन आप ट्रेन में बैठकर अपने घर आ सकते हो। 3 से 4 दिन में आपकी Mata Vaishno Devi की यात्रा पूरी हो जाती है।  

माता वैष्णो देवी की कथा के लिए यहाँ क्लिक करे 

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Yatra Gyan Har Har Mahadev. Agar aapko Kedarnath Yatra ya Chardham Yatra se judi Help Chahiye to aap mujhe 7060830844 Par Call Karke Meri Help Le sakte ho. Mera Naam Mayank hai or Me Haridwar Uttarakhand se hu.